अर्धचालक किसे कहते हैं : इसके प्रकार, उपयोग, लाभ और हानि क्या हैं ? 2024

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अर्धचालक किसे कहते हैं : Semiconductor जिसे हिन्दी भाषा में अर्धचालक कहा जाता है। इसका हमारे समाज पर एक बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। आप microprocessor chips के साथ-साथ ट्रांजिस्टर के केंद्र में Semiconductor पाते हैं। कुछ भी जो कम्प्यूटरीकृत है या रेडियो तरंगों का उपयोग करता है, सेमीकंडक्टर्स पर निर्भर करता है। आज, अधिकांश सेमीकंडक्टर्स चिप्स और ट्रांजिस्टर सिलिकॉन के साथ बनाए जाते हैं। आपने “Silicon Valley” और “Silicon Economy” जैसे नाम सुने होंगे और इसीलिए सिलिकॉन किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिल कहा जाता है।

अर्धचालक किसे कहते हैं

प्रकृति में कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो कि विधुत के सुचालक होते है, अर्थात जिसमे बिजली आसानी से प्रवाहित होती रहती है तथा बिजली के संपर्क में आने पर उनमें करंट लगता है। जैसे तार लोहा इत्यादि। और कुछ ऐसे पदार्थ भी पाये हैं जो कि विधुत के कुचलाक होते हैं, ऐसे पदार्थ मे विजली का परवाह नहीं हो पता है. तथा जब बिजली के संपर्क में आते हैं तो उन पर करंट नहीं लगता है. जैसे लकड़ी पेन इत्यादि। लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसे पदार्थ भी हमारी प्रकृति में मौजूद हैं।

जिनमें सुचालक और कुचालक दोनों पदार्थ के गुण पाए जाते हैं. ऐसे पदार्थों को ही अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) कहते हैं. अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट आदि के निर्माण में का आते हैं.। जैसे- सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनाइड, लिथियम इत्यादि। 

अर्धचालक किसे कहते हैं (What is Semiconductor in Hindi) ? 

अर्धचालक एक ऐसा ठोस रासायनिक तत्व या Compound होता है, जो आमतौर पर कुछ परिस्थितियों में विद्युत यानि बिजली को प्रवाहित कर सकता है। यह विद्युत प्रवाह के नियंत्रण के लिए एक अच्छा माध्यम बनाता है। Semiconductors का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में बड़े पैमाने पर किया जाता है। जैसा कि इसके नाम का अर्थ है, एक सेमीकंडक्टर एक ऐसा मटेरियल है जो करंट का संचालन करता है, लेकिन केवल आंशिक रूप से। सेमीकंडक्टर की कंडक्टिविटी एक इन्सुलेटर जिसमें लगभग कोई कंडक्टिविटी नहीं है, और एक कंडक्टर, जिसमें लगभग पूर्ण कंडक्टिविटी है, के बीच कहीं है।

आप इसे कुछ बिदुओं से समझते हैं-

  • वे पदार्थ जिनमें सामान्य अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती, लेकिन ताप बढ़ाने पर उनमें विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, ऐसे पदार्थ अर्धचालक पदार्थ कहलाते हैं। जैसे – सिलिकॉन, जर्मेनियम,
  • अर्धचालक वे पदार्थ होते है जिनमें कुचालक और सुचालक दोनों प्रकार के पदार्थों के गुण पाए जाते हैं।
  • अर्धचालक किसे कहते हैं ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी चालकता (conductivity)  कुचालक और सुचालक के बीच में होती है।

पहली बार सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल कब हुआ ?

क्या आप जानते है कि विश्व में पहली बार सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल कब किया गया था ? पहली बार सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल 1901 में हुआ। इटली के भौतिकशास्त्री एलेसेंड्रो वोल्टा ने 1782 में पहली बार सेमीकंडक्टिंग शब्द का इस्तेमाल किया था। हालांकि अमेरिकी भौतिकशास्त्री माइकल फैराडे 1833 में सेमीकंडक्टर प्रभाव का निरीक्षण करने वाले पहले व्यक्ति थे।

फैराडे ने पाया कि सिल्वर सल्फाइड के विद्युत प्रतिरोध में तापमान में कमी आई है। 1874 में कार्ल ब्रौन ने पहले सेमीकंडक्टर डायोड प्रभाव की खोज की। 1901 में पहले सेमीकंडक्टर डिवाइस ‘कैट व्हिस्कर्स’ का पेटेंट कराया गया। इसका आविष्कार जगदीश चंद्र बोस ने किया था।

गुण (Properties of Semiconductor)

  • ताप बदने पर अर्धचालक की विद्युत चालकता बढ़ जाती है इसलिए अर्धचालको प्रतिरोध गुणाक कम हो जाता है।
  • अर्धचालको मे कई लाभदायक गुण देखने को मिलते है,जैसे एक सतह से दूसरे सतह मे सरलता से धारा प्रवाहित होना।
  • इसमे अलग-अलग दिशा मे विद्युत चालकता का अलग- अलग होना।
  • सेमीकंडक्टर मे निरोध मात्र मे अशुद्धियाँ मिलाकर अर्धचालको की चालकता कम या ज्यादा किया जा सकता है।
  • इन अपूर्णता या अशुद्धीय को मिलाने की कार्यप्रणाली को डोपेन के नाम से जाना जाता है।
  • इनमे डोपिंग के माध्यम से ही इलेक्टनिक युक्तियाँ मिलाए जाते है जिसमे डायोड,ट्रांज़िस्टर आदि यंत्र शामिल होते है।
  • इनकी चालकत्व को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या रोशनी के द्वारा बदला जा सकता है।

अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं (Types of Semiconductor)

अर्धचालक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –

  • आतंरिक अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor)
  • बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductor)

1-  आतंरिक अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor)

आतंरिक अर्धचालक में किसी प्रकार की अशुद्धि नहीं मिली होती है। ये केवल एक ही प्रकार के तत्व से बने होते हैं. जर्मेनियम और सिलिकॉन सबसे आम प्रकार के आंतरिक अर्धचालक तत्व हैं। आतंरिक अर्धचालकों की विद्युत चालकता बहुत कम होती है।

2-  बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductor)

जब अर्धचालक पदार्थ में बहुत थोड़े से मात्रा में किसी धातु की अशुद्धि को मिश्रित किया जाता है तो अर्धचालक पदार्थ की विद्युत चालकता बढ़ जाती है. इस प्रकार से बने अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं। जैसे जर्मेनियम या गैलियम में एक उपयुक्त धातु की अशुद्धता को मिलाया जाता है तो इनकी चालकता बढ़ जाती है.अर्धचालकों में इस प्रकार से धात्विक अशुद्धता को मिलाने की प्रक्रिया को डोपन कहते हैं और अर्धचालकों की चालकता बढाने की यह तकनीकी doping कहलाती है।

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अर्धचालक के लाभ (Benefits Of Semiconductor)

  • अर्धचालकों को Heat (गर्म) करने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि अर्धचालक उपकरणों में कोई फिलामेंट नहीं होता है।
  • सर्किट को चालू करने पर अर्धचालक उपकरण तुरंत काम करना शुरू कर देते हैं, क्योंकि इन्हें गर्म करने की जरुरत नहीं पड़ती है।
  • अर्धचालक उपकरणों को कम वोल्टेज की आवश्यकता पड़ती है।
  • वैक्यूम ट्यूबों  की तुलना में अर्धचालक सस्ते होते हैं।

अर्धचालक से हानि (Disadvantage of Semiconductor)

  • वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक उपकरण शोर अधिक करते हैं।
  • वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक अधिक शक्ति को सहन नहीं कर पाते हैं।

सेमीकंडक्टर के उपयोग कहाँ-कहाँ होता है (Use of Semiconductor)?

अर्धचालक किसे कहते हैं यह जानने के बाद आइये अब जानते है कि कहा इस्तेमान किया जाता हैं? बिना Semiconductor के लगभग कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (Electronic Device) बनाना संभव नहीं हैं आज कल सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर यानि अर्धचालक का इस्तेमाल किया जाता हैं. सेमीकंडक्टर यानि अर्धचालकों का उपयोग कहाँ -कहाँ होता है नीचे कुछ लिस्ट दिया गया हैं

  • अर्धचालकों का उपयोग अनेक प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है।
  • ट्रांजिस्टर, डायोड, इंटिग्रेटेड सर्किट आदि युक्तियों को बनाने में अर्धचालक का इस्तेमाल किया जाता है।
  • बिजली के सिस्टम, पॉवर ट्रांसमिशन बनाने में भी अर्धचालक का इस्तेमाल होता है।
  • ऑप्टिकल सेंसर में सहायक उपकरणों को बनाने के लिए भी अर्धचालकों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, फ्रिज, टीवी व वॉशिंग मशीन व एसयूवी कार के पार्ट्स जैसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान में किया जाता है।

अर्धचालकों का सबसे अधिक उत्पादन कहाँ होता हैं ?

सेमीकंडक्टर यानि अर्धचालकों का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन (China) में होता है। सेमीकंडक्टर को लेकर पूरी दुनिया की निर्भरता काफी हद तक चीन पर ही है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीन में सेमीकंडक्टर का उत्पादन घट गया है। इससे दुनियाभर में इसकी कमी हो गई है।

भारत में वेदांता और फ़ाक्सकान मिल कर लगाएगी पहली सेमीकंडक्टर फैक्ट्री

 अर्थव्यवस्था के विकास से सीधे तौर पर जुड़े सेमीकंडक्टर के निर्माण को लेकर औपचारिक घोषणा हो गई है कई वर्षों से भारत इस प्रयास में जुटा था कि भारत में सैनिक कनेक्टर का निर्माण हो इसी संदर्भ में वेदांता (Vedanta) और ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) के बीच भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए मंगलवार को औपचारिक रूप से करार किया गया जिसके तहत सेमीकंडक्टर निर्माण पर 1.54 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद में दोनों कंपनियां मिलकर सेमीकंडक्टर  का निर्माण करेंगे। इस निवेश से 100000 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलने की उम्मीद है।  अगले 2 साल में इस यूनिट से उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए सरकार की तरफ से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) की घोषणा की गई हैं।

FAQs : अर्धचालक किसे कहते हैं

 1- अर्धचालक क्या होते हैं ?

अर्धचालक ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी चालकता (conductivity)  कुचालक और सुचालक के बीच में होती है या जिनमें कुचालक और सुचालक दोनों प्रकार के पदार्थों के गुण पाए जाते हैं।

 2- अर्धचालक का इस्तेमाल कहाँ होता है?

अर्धचालक का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर आदि बनाने में किया जाता है।

3- सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स क्यों कहा गया है ?

सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, फ्रिज, टीवी व वॉशिंग मशीन व एसयूवी कार के पार्ट्स जैसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान में किया जाता है। यही वजह है कि इसे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स का दिमाग भी कहते हैं।

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