about 7 Wonders of The World in Hindi | दुनिया के नये 7 अजूबे | duniya ke saat ajoobe kaun-kaun se hain ? Great Wall of China ke baare me | Chichén Itzá ke baare me| Petra ke baare me | The Colosseum ke baare men | Taj Mahal ke baare me| Christ The Redeemer statue ke baare me
करीब 250 ईसा पूर्व में, जिन प्राचीन सात अजूबों की सूची को संकलित किया गया था – उनमें से केवल गीज़ा के पिरामिड ही साक्ष्य के तौर पर अभी तक बचे हैं। इसलिए सन् 2000 में, एक स्विस कंपनी, न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन ने दुनिया के नए 7 अजूबों को निर्धारित करने के लिए एक अभियान शुरू किया। इस फाउंडेशन ने नए आश्चर्यों को 2007 में ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से घोषित किया। दुनिया भर के लोग इससे स्पष्ट रूप से सहमत थे, क्योंकि इंटरनेट पर या संदेश द्वारा 100 मिलियन से अधिक वोट डाले गए थे। इन स्थलों और स्मारकों को “दुनिया के नए सात अजूबों (New 7 Wonders of The World)” के रूप में जाना जाता है। ये सभी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में गिने जाते हैं।
दुनिया के सात अजूबे (New 7 Wonders of The World 2021 in Hindi)
विश्व के चार महाद्वीपों पर निर्मित, ये 7 अजूबे, सबसे प्राचीन और मध्ययुगीन साम्राज्यों के विशाल पैमाने पर वास्तुशिल्प चमत्कार हैं और दुनिया में सबसे अधिक पर्यटक आकर्षणों में से हैं। दुनिया के नये 7 अजूबे (New 7 Wonders of The World) इस प्रकार हैं-
1- चीन की महान दीवार (The Great Wall of China)
स्थान- चीन (China) | निर्माण- 7वीं शताब्दी ई.पू.- 16वीं शताब्दी ई. |
चीन की महान दीवार (The Great Wall of China), असल में कई दीवारों का संग्रह है, जिसे चीनी साम्राज्य की सीमाओं को मंगोलों से बचाने के लिए बनाया गया था। इस दीवार को बनाने में करीब दो हजार साल लगे, जिसमें दीवार के कई हिस्से अलग-अलग चीनी राजवंशों की अवधि के दौरान बने। जाहिर है इनती सदियों में कई क्रूर शासकों ने दासों और मजदूरों से जबरन निर्माण कार्य करवाया हो, जिससे इतने विशाल निर्माण में लगे कई हजार लोगों को अपनी जान देनी पड़ी होगी। दीवार का अधिकांश भाग 13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य मिंग राजवंश की अवधि में बना। चीन की सीमा विस्तृत होने के कारण, अलग-अलग चीनी साम्राज्यों में दीवार का विस्तार भी सीमा के साथ बढ़ता गया। दीवार के निर्माण में ज्यादातर स्थानीय कंकड़-मिट्टी और पर्वतीय पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। दीवार में जगह-जगह बैरक और चौकियों का निर्माण हुआ है जहाँ सैनिक खड़े रहकर पहरा दिया करते थे।
दुनिया के नये 7 अजूबों (New 7 Wonders of The World) में यह सबसे प्राचीन संरचना है। हालांकि, यह आक्रमण को रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन दीवार वास्तविक सुरक्षा प्रदान करने में काफी हद तक विफल रही। इसकी बजाय, विद्वानों ने उल्लेख किया है कि यह “राजनीतिक प्रचार” के रूप में अधिक कार्य करता है। इसके अलावा, यह दीवार आधुनिक युग में, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र जरुर है। विशेषज्ञों द्वारा, चीन की महान दीवार को व्यापक रूप से लगभग 5,500 मील (8,850 किमी) लंबा माना जाता है। इतना विशालतम निर्माण बेशक इसे दुनिया में अब तक की सबसे लंबी मानव निर्मित संरचना बनाता है।
2- चिचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)
कुकुल्कन का मंदिर “एल कैस्टिलो” (Temple of Kukulcan “El Castillo”)
स्थान- युकाटन प्रायद्वीप, मैक्सिको (Mexico) | निर्माण- 5वीं-13वीं शताब्दी ई. |
चिचेन इट्ज़ा (Chichen Itza), मैक्सिको में युकाटन प्रायद्वीप पर एक मायन शहर है, जो 9 वीं और 10 वीं शताब्दी ईस्वी में फला-फूला। मायन जनजाति के अंतर्गत इत्ज़े, जो टोलटेकस से बहुत प्रभावित थे। इस दौरान कई महत्वपूर्ण स्मारक और मंदिर बनाए गए थे। अत्यंत प्रसिद्ध मायन मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायन सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। इसकी विभिन्न रचनाओं में – कुकुल्कन का मंदिर या पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान, आज भी देखे जा सकते हैं और ये वास्तुशिल्प के क्षेत्र तथा रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। सबसे उल्लेखनीय में से एक, पिरामिड “एल कैस्टिलो” है, जो मेन प्लाजा से 79 फीट (24 मीटर) ऊपर है। यह पिरामिड सभी मायन मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था।
पुरातत्वविदों के अनुसार चिचेन इट्ज़ा, मायापन साम्राज्य से कुछ सदी पहले ही तहस नहस किया जा चुका था। वर्तमान में यह ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध स्थल है। जिसमें एल कैस्टिलो आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
3- पेट्रा (Petra)
अल-ख़ज़नेह (ख़ज़ाना घर) {Al-Khazneh}
स्थान- जॉर्डन (Jordan) | निर्माण- 4वीं शताब्दी ई.पू. – 2वीं शताब्दी ई. |
जॉर्डन का प्राचीन शहर पेट्रा (Petra), जो बलुआ पत्थर के पहाड़ों और चट्टानों के बीच, एक सुदूर घाटी में स्थित है। यह उन जगहों में से एक था, जहाँ मूसा ने एक चट्टान पर हमला किया था और पानी की बौछार हुई थी। बाद में, अरब रेगिस्तान के किनारे, राजा एरिटास चतुर्थ (9 ई.पू. से 40 ई.)ने पेट्रा को, नाबाटियंस(एक अरब जनजाति) साम्राज्य की शानदार राजधानी बनाई। इस दौरान यह फलता-फूलता रहा। आज, पेट्रा के महलनुमा मकबरे, जिनमें अल दैर मठ पर 42 मीटर ऊंचे यूनानी मंदिर के मुखौटे हैं, जो मध्य पूर्वी संस्कृति का शानदार उदाहरण हैं। इसके प्रसिद्ध नक्काशीदार, नाबाटियंस छतों, मंदिरों, और कब्रों को बलुआ पत्थर में तब्दील कर दिया गया था, जो बदलते सूरज के साथ रंग बदलता गया। यहाँ पर्यटकों के लिए अल-ख़ज़नेह आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है।
जल प्रौद्योगिकी में माहिर, नाबाटियंस लोगों ने अपने शहर को बेहतरीन सुरंगों और जल के चैम्बरों का निर्माण प्रस्तुत किया। यह विशेष रूप से मसालों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र बन गया। इसके अलावा, उन्होंने हरे-भरे बागानों और खेती के लिए मैदान भी तैयार किये। इस तरह पेट्रा की आबादी बढ़ती गयी। लेकिन व्यापार मार्ग में परिवर्तन और कई बड़े भूकंप ने यहाँ की आबादी के लिए अधिक कठिनाई पैदा कीं। इसके बाद, पेट्रा को लोगों द्वारा धीरे-धीरे छोड़ दिया गया। हालांकि 1912 में इसे फिर से खोजा गया, लेकिन 20 वीं शताब्दी के अंत तक पुरातत्वविदों द्वारा इसे काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया।
4- कोलोज़ियम (The Colosseum)
स्थान- रोम(Rome), इटली (Italy) | निर्माण- 72-82 ई. |
इटली देश के रोम शहर में स्थित, कोलोज़ियम (The Colosseum) का निर्माण पहली शताब्दी में सम्राट वेस्पासियन के आदेश से हुआ था। मुख्यतः जो संरचना वर्तमान में किसी खेल या जलसे या अन्य मनोरंजन के लिए हुआ करती है। रोमन साम्राज्य में यह कई तरह के कार्यक्रमों के लिए बनाई गयी थी। इनमें से यह, सफल सैनिकों को ईनाम देने, रोमन साम्राज्य के गौरव का जश्न मनाने, ग्लैडीएटर झगड़े, जानवरों से जूझ रहे पुरुष और अन्य खेलों के लिए प्रसिद्ध था। आज, फिल्मों और इतिहास की पुस्तकों के माध्यम से, हम इस जगह पर होने वाली क्रूर लड़ाई और खेलों के बारे में और भी अधिक जानते हैं। इंजीनियरिंग की यह अनूठी संरचना करीब 156 वर्ग मीटर माप के साथ वाल्टों की एक जटिल प्रणाली है। यह 50,000 दर्शकों को एक साथ रखने में सक्षम था।
बेशक आज कोलोज़ियम, प्राचीनकाल की वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है। साथ ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। लेकिन यह उस सदी में रोमन साम्राज्य के क्रूरता और बर्बरता की झलक भी है जहाँ केवल मनोरंजन के लिए हजारों लोगों की बलि दे दी गयी। भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुई क्षति और कोलोज़ियम की सामग्रियों के खनन ने मूल संरचना का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा छोड़ दिया है।
5- माचू पिच्चु (Machu Picchu)
स्थान- पेरू (Peru) | निर्माण- 15वीं शताब्दी ई. |
माचू पिच्चू (Machu Picchu), पेरू में स्थित, एक पूर्व-कोलंबियन इंकान (Incan) बस्ती है, जिसके कुछ अंश अबतक बरकरार हैं। यह एंडीज पर्वत के पूर्वी ढलान पर स्थित है, जो अमेज़न के जंगल में अन्दर और उरुबम्बा नदी के ऊपर है। इसे संभवत: इंकान सम्राट पैचाक्यूटे इंका युपांक्वी (Pachacuti Inca Yupanqui) के लिए एक शाही वापसी के रूप में बनाया गया था। 15वीं शताब्दी के मध्य इसका निर्माण हुआ। 16वीं शताब्दी के मध्य तक इसे छोड़ दिया गया था, हालांकि इसका कारण स्पष्ट नहीं है। स्पेनिश द्वारा इंकान साम्राज्य को हरा दिए जाने के बाद, यह शहर लगभग तीन शताब्दियों तक गुमनाम सा रहा। बाद में, पेरू के कुज्को के पास, इसे 1911 में ‘हीराम बिंगहैम’ ने खोजा था। एंडीज (Andes) पर्वत में उच्च सापेक्ष होने के बावजूद, इसमें कृषि क्षेत्र, प्लाज़ा, आवासीय क्षेत्र और मंदिर हैं।
यहाँ पर एंडीज के माध्यम से इन्कैन ट्रेल को पार करके या ट्रेन या फिर हेलिकॉप्टर से ही आवागमन किया जा सकता है। यह स्थान भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। संरचनाओं को बेहतर ढंग से संरक्षित करने के लिए, पेरू सरकार ने पर्यटकों द्वारा साइट पर बिताए समय की मात्रा को सीमित करना शुरू कर दिया है। दुनिया के नये 7 अजूबों (New 7 Wonders of The World) में यह सबसे ऊंचाई पर है जहाँ बादल भी आकर टकराते हैं।
6- ताज महल (The Taj Mahal)
स्थान- आगरा (Agra), भारत (India) | निर्माण- 1632-1648 ई. |
ताज महल (Taj Mahal), सफेद संगमरमर से निर्मित, बाहरी दीवारों से घिरा और उद्यानों के बीच स्थित है। भारत के आगरा में स्थित इस मकबरे के परिसर को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक माना जाता है। यह मुग़लकालीन वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है। इसका निर्माण सम्राट शाहजहाँ (1628 से 1658 तक) ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल के सम्मान में करवाया था, जिनकी मृत्यु 1631 में हुई थी। इसके निर्माण में लगभग 22 साल और 20,000 श्रमिकों को लगाना पड़ा, जिसमें एक परावर्तक पूल के साथ एक विशाल उद्यान शामिल है। मकबरा सफेद संगमरमर से बना है जिसमें ज्यामितीय और पुष्प पैटर्न में अर्ध-पत्थरों की विशेषताएं हैं। इसका मुख्य शाही गुंबद, चार मीनारों से घिरा हुआ है।
यह दुनिया के नये 7 अजूबे (New 7 Wonders of The World) में शामिल होने के साथ-साथ, भारत का उत्कृष्ट पहचान चिन्ह भी है। यहाँ प्रत्येक वर्ष, दुनियाभर से पर्यटक इस स्मारक की सुन्दरता को देखने आते रहते हैं। पर्यटन का बड़ा हिस्सा यहाँ से भारतीय राजकोष में आता है।
7- क्राइस्ट द रिडीमर मूर्ति (Christ The Redeemer statue)
स्थान- रियो डी जनेरियो (Rio de Janeiro), ब्राज़ील (Brazil) | निर्माण- 1926-1931 ई. |
क्राइस्ट द रिडीमर (Christ The Redeemer Statue), यीशु की एक विशाल प्रतिमा, रियो डी जनेरियो में माउंट कोर्कोवाडो के ऊपर स्थित है। इसकी उत्पत्ति प्रथम विश्व युद्ध के ठीक बाद की है, जब कुछ ब्राज़ीलियाई लोगों ने “ईश्वरहीनता का ज्वार” की आशंका जताई थी। उन्होंने एक प्रतिमा का प्रस्ताव रखा, जिसे अंततः हेतोर दा सिल्वा कोस्टा, कार्लोस ओसवाल्ड और पॉल लैंडोवस्की द्वारा डिजाइन किया गया था। निर्माण 1926 में शुरू हुआ और पांच साल बाद पूरा हुआ। यीशु की यह प्रतिमा कोर्कोवाडो पहाड़ पर स्थित, 38 मीटर ऊंची है, जिससे पूरा रियो डी जनेरियो शहर दिखता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा-आर्ट डेको मूर्तिकला है। क्राइस्ट द रिडीमर प्रबलित कंक्रीट से बना है और टाइल्स द्वारा कवर किया गया है। अपने विशाल आकार के कारण कई बार यह, प्राकृतिक घटनाओं से, कहीं-कहीं क्षतिग्रस्त हो जाता है।
यीशु की प्रतिमा, जो खुली बांहों से आगंतुकों का स्वागत करते हैं, रियो शहर के साथ-साथ पूरे ब्राज़ील और उसके लोगों का एक पहचान चिह्न बन गई है। यह मूर्ति दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। दुनियाभर के सैलानी यहाँ के नज़ारे देखने और छुट्टियाँ बिताने हमेशा यहाँ आते रहते हैं।
इस प्रकार दुनिया के नये 7 अजूबे (New 7 Wonders of The World), न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन द्वारा, वोटों के आधार पर, 2007 में घोषित किये गये थे। ऐसे में बहुत से अन्य सुन्दर स्मारक या स्थल कम वोटों के चलते इन अजूबों में शामिल नहीं हो पाए। दोस्तों, आप के हिसाब से वो कौन से जगह या स्मारक इन अजूबों की सूची में होने चाहिए, आप हमें नीचे comment box में टाइप कर बता सकते हैं।
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